सत्ता के नए ठांव
बिसरते गाँव
दहकता शहर
आतंक का कहर
बहुत गुल खिला गुजरे साल
सबको मुबारक नया साल।
पड़ोस क़ी आग
खूनी फाग
बिजनेस में बोर
रिश्ते का जोर
बहुत गुल खिला गुजरे साल
सबको मुबारक नया साल।
जानलेवा गर्मी
बाज़ार की नरमी
कानून से खिलवाड़
पैबंद लगी दीवार
बहुत गुल खिला गुजरे साल
सबको मुबारक नया साल।
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क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...
1 comment:
Aaku Srivastava to me
i reciprocate the same
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