Sunday 20 December 2009

मैं बेबस

मैं जो हूँ
मालूम है सबको
और
मेरे आसपास जो है
देख रहें हैं सब
चूंकि मैं बहुत आम हूँ
चर्चे में नहीं हूँ इसलिए

पर,
मेरे एक बगलगीर
बड़े नेता हैं
शासन-सियासत में रसूख रखते हैं
पहुँच पैरवी भी बहुत है
नगदी भलाई लेकर
दुनिया भर का भला करते हैं
दलाली, जो कि नेताओं का अहम् पेशा है
समाजसेवा की आड़ में बेधड़क करते हैं।
भाई साहब, खादीधारी
बहुत बड़े आदमी हैं

मेरे दूसरे बगलगीर
बड़े अधिकारी हैं.
नाम है, पैसा है, इज्ज़त है.
गुरूरियत भी कुछ कम नहीं
रिश्वत जो कि सिस्टम में है
बड़े शान से लेते हैं
ऊपर तक पहुँच है अक्सर बखान करते हैं
सूटेड - बूटेड साहब जी ,
बहुत बड़े आदमी हैं


मेरे तीसरे बगलगीर
धनकुबेर हैं समझो ।
पैसा है, शोहरत है, बिजनेस जमी-जमाईहै।
काली भी - उजली भी , दोनों कमाई है।
दिखते कुछ, करते कुछ और भी हैं।
पैसे का जोर है , नाम - गाम चहुंओर है।
भैया जी, फलां गांव वाले
बहुत बड़े आदमी हैं।

गिरिजा चाची माफ़ करना,
मैं इनमें से कुछ भी नहीं।
तुम्हें अमेरिका पहुँचाना,
मेरे बस का नहीं।


(गिरिजा देवी को अमेरिका में भाषण देने बुलाया गया था, मगर जरूरी इंतजामात नहीं हुआ, इसलिए वह नहीं जा सकीं । मुफलिसी भी एक वजह थी । )

1 comment:

Unknown said...

Badhiya hai Bhai. Accha laga. lage rahen.

rajneesh

  क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...