Sunday 14 August 2016

गजल



पीयो दूध, छाछ और लस्सी, यहां शराब पीना मना है।
मत खोजो पानी अब रंगीन, यहां शराब पीना मना है।

राजनीति के धाकड़ कहते, हम तो हैं गांधी के हमराह,
रोग नशे का है तो दवा पीयो, यहां शराब पीना मना है।

गांव-गांव में मदिरालय खोल, गांधीछाप जुटाते थे तब
देते अब धर्म की दुहाई, कहते, यहां शराब पीना मना है।

मर जाएंगे, मिट जाएंगे, जो भी गत हो जाए सह लेंगे
कुर्सी का दम भर कहते रहेंगे, यहां शराब पीना मना है।

लिए नगाड़ा, पीट ढिंढोरा, वो घूम रहे हैं नगर-नगर,
हे गांधीचरों अब कह भी दो, यहां शराब पीना मना है।

  क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...