बीच बाज़ार खड़े हो
शुरू ही किया बोलना
राजनीति से शुरू कर
गंदी है, कहने से पहले
चैनल बदल दिया ...
धर्म की बात करता
अधर्म जो लग रहा था मुझे
भीड़ थी बिन ब्याही सीता की
स्वयंवर लग रहा था राम के दरबार
फिर से, चैनल बदल दिया ...
चौके-छक्के पर पेनाल्टी
गेंद पर आ गिरा गोलपोस्ट
मैदान में ही सौदेबाज रेफरी
निशाने से चूक गया तीर
क्या हुआ, चैनल बदल दिया ...
अन्तःवस्त्र में हीरोइन
बिना शर्ट के हीरो नाच रहा
नायक के खल पर
रो रहा था जोकर
कहाँ लगी, चैनल बदल दिया ...
ख़बरों की नई दुनिया
चार मरे छः घायल
बलात्कारी धरा गया
कैदी फरार जेल तोड़कर
बस! की चैनल बदल दिया ...
धमाका पाप का
मिक्स यानी पुराने का री
धुनों के साथ छेड़छाड़
बदन हिलाना माने डांस
पसंद नहीं, चैनल बदल दिया ...
क्योंकि फूहड़ है सो हंसो
नाम वाला बोला खरीदो
निखार आयेगी, जवान दिखोगे
साबुन का प्रचार है, बदन उघाड़ है
खाली है जेब, चैनल बदल दिया ...
पैसा है बाप का गुस्सा हमारा -
आजिज़ हो मैंने चैनल ही तोड़ दिया ।
Wednesday 16 December 2009
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3 comments:
भावेश जी आप की सोच का जवाब नहीं
भाटिया
apki rachna uttam to hai hi sath hi sath nayapan bhi ahi.
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