Wednesday 16 December 2009

चैनल

बीच बाज़ार खड़े हो
शुरू ही किया बोलना
राजनीति से शुरू कर
गंदी है, कहने से पहले
चैनल बदल दिया ...

धर्म की बात करता
अधर्म जो लग रहा था मुझे
भीड़ थी बिन ब्याही सीता की
स्वयंवर लग रहा था राम के दरबार
फिर से, चैनल बदल दिया ...

चौके-छक्के पर पेनाल्टी
गेंद पर आ गिरा गोलपोस्ट
मैदान में ही सौदेबाज रेफरी
निशाने से चूक गया तीर
क्या हुआ, चैनल बदल दिया ...

अन्तःवस्त्र में हीरोइन
बिना शर्ट के हीरो नाच रहा
नायक के खल पर
रो रहा था जोकर
कहाँ लगी, चैनल बदल दिया ...

ख़बरों की नई दुनिया
चार मरे छः घायल
बलात्कारी धरा गया
कैदी फरार जेल तोड़कर
बस! की चैनल बदल दिया ...

धमाका पाप का
मिक्स यानी पुराने का री
धुनों के साथ छेड़छाड़
बदन हिलाना माने डांस
पसंद नहीं, चैनल बदल दिया ...

क्योंकि फूहड़ है सो हंसो
नाम वाला बोला खरीदो
निखार आयेगी, जवान दिखोगे
साबुन का प्रचार है, बदन उघाड़ है
खाली है जेब, चैनल बदल दिया ...

पैसा है बाप का गुस्सा हमारा -
आजिज़ हो मैंने चैनल ही तोड़ दिया ।

3 comments:

bhatia said...

भावेश जी आप की सोच का जवाब नहीं
भाटिया

bhatia said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Himanshu Shekhar said...

apki rachna uttam to hai hi sath hi sath nayapan bhi ahi.

  क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...