ओ कवि!
ओ कवि!
कुछ और रचो।
शब्द बहुत
लिखे,
भाव भी उड़ेले।
देखो तो!
शब्द-भाव के
हाल।
एक सहमा-सा,
दूजा बेजान-सा।
कविराज!
अर्थ पर आओ।
किसी को चुभे
नहीं,
भवें कहीं तने
नहीं।
नहीं मानोगे!
तो लिख डालो।
न डरे हैं, न
डरेंगे
मेरे शब्द
चुभेंगे।
क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...