और जिला रहा है
उन लोगों को भी
जो उसके सहारे जिंदा हैं
वो जिंदा हैं और उनकी बुनियाद -
आबाद है -
क्योंकि तुम्हारी कुछ बुरी आदतें हैं
तुम अपनी आदतों से बाज नहीं आओगे
शुक्र है, उसकी हथेलियों में तुम -
रख दे रहे हो -
बुरी आदतों की औने-पौने कीमत
तुम भी खुश वो भी खुश
तुम्हारे छोड़न की बटोरन ही
उसका पेशा है
मेरा इशारा रेल के डब्बों में
कचरा बहोरते - झाड़ू लिए
नन्हे हाथों की ओर है ।
अब फैसला तुम्हें करना है
किसे बदलोगे -
बुरी आदतों को या
नन्हे हाथों की दशा-दिशा को
या कि दोनों को ...
3 comments:
बिम्ब ठीक है, व्यंजना तंग। जरा उसका काफिया ढीला कीजिए।
कमेंट में माडरेशन तो ठीक है, पर यह शब्द पुष्टीकरण हटाइए। बेकार की जहमत में फंसाता है। इससे आपके ब्लाग पर टिप्पणी देने वाले भी परहेज करने लगेंगे।
... और सिर्फ अपने ब्लाग पर ही लगे हुए हैं। कभी मेरे ब्लाग पर भी आइए।
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