पिता हूं
तलहटी में बचे तालाब के थोड़े से पानी
भागती जिंदगी में बची थोड़ी सी जवानी
दोनों को समेटकर सींचता हूं
बड़े हो रहे बच्चों का पिता हूं
आती हुई झर्रियों को छुपाने
की जुगत में
वक्त ने जो बख्शी, उतनी-सी मुरव्वत
में
देखो, मैं बेहिसाब दौड़ता हूं
बड़े हो रहे बच्चों का पिता
हूं
बस्ता, कपड़े, टिफिन, फीस से
भी आगे
वक्त से कदमताल के लिए देर से
जागे
इसलिए अब तेज भागता हूं
बड़े हो रहे बच्चों का पिता
हूं
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