Tuesday 15 February 2011

इंकलाब जिंदाबाद

यह एक अच्छी खबर थी
फर्स्ट पेज की लीड
पूरे आठ कॉलम वाली
फैला कर छाप दी गई

पाठकों ने भी गौर से पढ़ा
साथ में तस्वीर भी देखी
आधे पेज की यह खबर
पढऩे में आधा घंटा लगा दिया

पढ़ाकुओं ने रिकार्ड मैंटेन किया
यह खबर भविष्य में एक सवाल होगी
जवाब याद रखना चाहिए
जाने कब इम्तिहान आ जाए?

वकीलों ने भरपेट चर्चा की
कानून के दांवपेंच के बीच
घटना को जरूरी-गैरजरूरी कहा
साथ में गिना दी कानून की धाराएं

कुछ अफसरशाह मंद-मुद मुस्कराए
खबर पढ़ी और अखबार परे रख दिया
प्रतिक्रिया व्यक्त करने की फुर्सत नहीं थी
किसी से जिक्र तक नहीं किया

नेताओं ने जरूर गौर से पढ़ा
जानने वालों से जिक्र भी किया
क्या हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है?
इस मसले पर थोड़ी मगजमारी कर ली

खबर मैंने भी देखी-पढ़ी
मिस्र की इस खबर में कितनी मिठास थी
बरबस मेरे मुंह से निकला-
जनता जनार्दन जिंदाबाद!

  क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...