Wednesday, 13 January 2010

नए निजाम में

बहुत शोर है कि
बदल गया है निजाम
बदल गयी है व्यवस्था
तौर-तरीके सभी शासन-सियासत के
फिर शुरू हो चुका है
तबादलों का व्यवसाय
और
सुशासन का पीटा जाने लगा है
ढिंढोरा
बेआवाज-सा

आज एक सेमिनार का आयोजन था
प्राथमिक शिक्षा के सुदृढीकरण पर चर्चा हुई
शहर के तीन सितारा होटल में
बुद्धिजीवियों से खचाखच भरा -
कांफ्रेंस हॉल
मुर्गे की टांग चबा-चबा
बिसलरी का पानी पी-पीकर
उन्होंने रखी अपनी बात
चलती रहनी चाहिए
मध्याह्न भोजन यानी खिचड़ी-भोज
नौनिहालों को पढ़ाना है  
सुशिक्षित बनाना है
समाज को सुधारना है
भई, नया निजाम है
नए तरीके हैं.

हमीं हैं पागल
कुछ अच्छे की सोच रखते हैं
आखिर, वही पुराना हम्माम है
और वही चेहरे हैं
नंगे और अधनंगे सभी .

1 comment:

Himanshu Shekhar said...

apke duara likhi gayi naye nizam main kavita hamare bhutkal se lekr bhavisayatkal tak ki rajnitin ko dersati hai. kavita ka thim aachi hai. acchi rachana ke liye apko badhai.

  गजल   पूरी नजर से अधूरा घर देखता हूं। गांवों में अधबसा शहर देखता हूं।   पूरे सपने बुने, अधूरे हासिल हुए। फिर-फिर मैं अपने हुनर...