अजीब बनावट थी उस चेहरे की
हर चेहरा उसी ओर मुड़ गया था
अपने चेहरे को भूलकर
लोग उसी चेहरे को देखते थे
लोग देखते थे चेहरे की सोखी
चेहरे का खुरदुरापन
और देखते थे बदलते भाव
यह भूलकर कि अपना चेहरा
भी बदलता है रंग-ढंग
और हाव-भाव भी
यह भूल जाते थे
कि हमारा चेहरा भी लोग पढ़ रहे हैं
दरअसल, चेहरे होते ही ऐसे हैं
इत्मीनान से धोखा दे जाते हैं.
Thursday 8 July 2010
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