अगर मेरे पास पैसा होता
कुछ चमचों को लेकर दौड़ते
समाज कल्याण की बातें करते
आश्वशनों का झुनझुना बजाते
झूठ बोलते, मैं भी नेता होता.
अगर मेरे पास पैसा होता .
गरीबों को खाना दूंगा
बेरोजगारों को नौकरी दूंगा
बेघर का घर बनवाऊंगा
वादे करके, मैं भी नेता बनता
अगर मेरे पास पैसा होता .
प्यासे मन को पानी देकर
भूखों को दाना-खाना देकर
चमचों की जेबें भरकर
सपने दिखाकर, मैं भी नेता बनता
अगर मेरे पास पैसा होता .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गजल पूरी नजर से अधूरा घर देखता हूं। गांवों में अधबसा शहर देखता हूं। पूरे सपने बुने, अधूरे हासिल हुए। फिर-फिर मैं अपने हुनर...
-
चांद, तारे, फूल, शबनम ----------------- चांद, जिस पर मैं गया नहीं जिसे मैंने कभी छुआ नहीं उजले-काले रंगों वाला- जो दिन में कभी द...
-
पिता हूं तलहटी में बचे तालाब के थोड़े से पानी भागती जिंदगी में बची थोड़ी सी जवानी दोनों को समेटकर सींचता हूं बड़े...
-
हमारे और तुम्हारे अलग-अलग अस्तित्व, एकाकार होते हम अँधेरे में बिस्तर पर संवेदना के व्यापक गलियारे में विचरते अलग-अलग, साथ-साथ. कुला...
No comments:
Post a Comment