ओ कवि!
ओ कवि!
कुछ और रचो।
शब्द बहुत
लिखे,
भाव भी उड़ेले।
देखो तो!
शब्द-भाव के
हाल।
एक सहमा-सा,
दूजा बेजान-सा।
कविराज!
अर्थ पर आओ।
किसी को चुभे
नहीं,
भवें कहीं तने
नहीं।
नहीं मानोगे!
तो लिख डालो।
न डरे हैं, न
डरेंगे
मेरे शब्द
चुभेंगे।
गजल पूरी नजर से अधूरा घर देखता हूं। गांवों में अधबसा शहर देखता हूं। पूरे सपने बुने, अधूरे हासिल हुए। फिर-फिर मैं अपने हुनर...
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