Saturday, 19 March 2011

हे राम!

मार्च का महीना
सिर पर इम्तिहान
पेपर है मर्यादा का
असमंजस में हैं राम!

गुरु वशिष्ठ के जमाने में
कठिन नहीं था ज्ञान
आज क्या पढ़ें, पता नहीं
असमंजस में हैं राम!

राजा दशरथ का लाड़ था
पूरी अयोध्या का सम्मान
अब कोई क्यों नहीं पूछता
असमंजस में हैं राम!

अहिल्या का उद्धार किया
सारे जग ने कहा महान
अब कोई अबला नहीं
असमंजस में हैं राम!

  गजल   पूरी नजर से अधूरा घर देखता हूं। गांवों में अधबसा शहर देखता हूं।   पूरे सपने बुने, अधूरे हासिल हुए। फिर-फिर मैं अपने हुनर...