Saturday, 19 March 2011

हे राम!

मार्च का महीना
सिर पर इम्तिहान
पेपर है मर्यादा का
असमंजस में हैं राम!

गुरु वशिष्ठ के जमाने में
कठिन नहीं था ज्ञान
आज क्या पढ़ें, पता नहीं
असमंजस में हैं राम!

राजा दशरथ का लाड़ था
पूरी अयोध्या का सम्मान
अब कोई क्यों नहीं पूछता
असमंजस में हैं राम!

अहिल्या का उद्धार किया
सारे जग ने कहा महान
अब कोई अबला नहीं
असमंजस में हैं राम!

Tuesday, 15 February 2011

इंकलाब जिंदाबाद

यह एक अच्छी खबर थी
फर्स्ट पेज की लीड
पूरे आठ कॉलम वाली
फैला कर छाप दी गई

पाठकों ने भी गौर से पढ़ा
साथ में तस्वीर भी देखी
आधे पेज की यह खबर
पढऩे में आधा घंटा लगा दिया

पढ़ाकुओं ने रिकार्ड मैंटेन किया
यह खबर भविष्य में एक सवाल होगी
जवाब याद रखना चाहिए
जाने कब इम्तिहान आ जाए?

वकीलों ने भरपेट चर्चा की
कानून के दांवपेंच के बीच
घटना को जरूरी-गैरजरूरी कहा
साथ में गिना दी कानून की धाराएं

कुछ अफसरशाह मंद-मुद मुस्कराए
खबर पढ़ी और अखबार परे रख दिया
प्रतिक्रिया व्यक्त करने की फुर्सत नहीं थी
किसी से जिक्र तक नहीं किया

नेताओं ने जरूर गौर से पढ़ा
जानने वालों से जिक्र भी किया
क्या हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है?
इस मसले पर थोड़ी मगजमारी कर ली

खबर मैंने भी देखी-पढ़ी
मिस्र की इस खबर में कितनी मिठास थी
बरबस मेरे मुंह से निकला-
जनता जनार्दन जिंदाबाद!

  गजल   पूरी नजर से अधूरा घर देखता हूं। गांवों में अधबसा शहर देखता हूं।   पूरे सपने बुने, अधूरे हासिल हुए। फिर-फिर मैं अपने हुनर...