पीड़ित क्रांति
क्रांति,
तुम कैसी हो, क्या हैं तेरे हाल
सुना,
घर छोड़ गया जो बेटा था वाचाल
तर्पण
तुम्हारे विचारों का कर दिया
अवशेष
फल्गु की धारा में बहा दिया
आखिरी
लाल सलाम भी कह दिया
उखड़ा
पैबंद, तुम फिर हुई फटेहाल
क्रांति,
तुम कैसी हो, क्या हैं तेरे हाल
छोड़
गया वो छोरा तुमको बीच धार
नहीं
हो सकी नवोन्माद की नैया पार
फंसी
थी, फंसी रह गई तुम मझधार
ऐसे
क्यूं बदला लेनिनग्राद का लाल
क्रांति,
तुम कैसी हो, क्या हैं तेरे हाल
अपने
घर में हारा तो घर ही तोड़ गया
कैसा
लड़ाका! डंडा-झंडा छोड़ गया
बदल
विचारों को सारी धारा मोड़ गया
तेरे
इंकलाब का यह असमय इंतकाल
क्रांति,
तुम कैसी हो, क्या हैं तेरे हाल