Friday, 12 February 2010

तुम और मैं

बात-बात पर धमकी
और फटकार
सो-कोज के बाद
जारी तकरार
रोजनामचे में शामिल
उनका व्यवहार .
ये कैसे हो गया
वो कैसे हो गया
हमसे पूछ तो लेते
कह कर तो जाते
मुझे पसंद नहीं -
आगे से ऐसा नहीं चलेगा.
अपने को तो आदत है
ऐसे ही होता स्वागत है.

मेरी हाँ में हाँ मिलाना
तुमसे ही है ज़माना
बस यूं ही निहारता रहूँ
यूं डूबता रहूँ उतरता रहूँ
फिर मेरा कदम बढ़ाना
मेरी आदत है उकताना.
उसने भी है ठाना
पहले थोड़ा सकुचाना
फिर देह का चुराना
हंसी-ठट्ठे के बाद
एकाकार हो जाना
सारे रंजो गम भुलाकर
मुझको गले लगाकर
आँखें मूँद लेना
थोड़ी ही देर बाद
निंदिया के पास जाना

अपुन की ज़िंदगी है
ऐसे ही चलती है.

Monday, 8 February 2010

नज़्म

ज़माना बदल रहा है ये और बात है.
बेलौस हैं मेरे कदम ये और बात है.

आसमां नापती है सैर करती है चिड़िया
लौट आती दरख़्त पर ये और बात है.

मेरे परवाज की परवाह क्यों करे कोई
चुभती है उड़ान उन्हें ये और बात है.

तुम्हारे कदम नपे-तुले नज़र सधी हुई
डगमगा रहा मैं बीच राह ये और बात है.

मेरी रफ़्तार पर न कर जहमते सौदागरी
खाके ठोकर संभलते हैं ये और बात है.

सरेबाजार मोल लगा भाव तय किये
न आया खरीदार कोई ये और बात है.

आ चल मेरे साथ मेरी आँख देख
नजाकत सिर्फ यहीं ये और बात है.

  क्या हो जाता गर दिल खोल लेने देते जीभर बोल लेने देते मन की कह लेने देते उनका इजहार हो जाता आपका इनकार हो जाता क्या हो जाता गर कटवा लेते जर...